पुराण विषय अनुक्रमणिका(अ-अनन्त) Purana Subject Index

Ajanaabha - Anima

Puraanic contexts of words like Ajapaala, Ajameedha, Ajaa/goat, Ajita, Ajeegarta, Ajnaana/ignorance, Anjanaa, Attahaasa, Anima etc. are described here.

अजनाभ भागवत ५.४( ऋषभ द्वारा शासित देश ), लक्ष्मीनारायण २.१११.५९( अजनाभ देश में गङ्गा की स्थिति ), २.२९७.८९( अजनाभीय नारियों के गृह में कृष्ण द्वारा ऐतिहासिक वार्ता, कला कौशल्य आदि की वार्ता का उल्लेख ) ajanaabha 

अजपार्श्व ब्रह्म १.११.१३२( श्वेतकर्ण व मालिनी - पुत्र, अजपार्श्व नाम प्राप्ति का कारण, रोमक - पुत्र बनना ), हरिवंश ३.१( श्वेतकर्ण व मालिनी के पुत्र अजपार्श्व के जन्म की कथा ) ajapaarshva 

अजपाल भविष्य ४.७१( अजपाल द्वारा रावण की आधीनता अस्वीकार करना, ज्वर प्रेषण, नीराजन द्वादशी व्रत ), मत्स्य १२.४९( दीर्घबाहु - पुत्र, दशरथ - पिता ), स्कन्द ६.९५( अजपाल द्वारा चण्डी देवी से प्राप्त अस्त्र मन्त्रों से व्याधियों को अजा रूप में रूपान्तरित करना, व्याघ्र रूपी शिव द्वारा अजाओं का भक्षण, राजा की मुक्ति ), ६.१३३( अजपाल द्वारा व्याधियों को अजा रूप में रूपान्तरित कर रक्षा करना, विप्र का रात्रि में कुष्ठ ग्रस्त होना, व्याधि से मुक्ति हेतु अजापाल का तप ), ७.३.९( पूर्व जन्म में शूद्र, कमलों से केदारेश्वर लिङ्ग की पूजा से राजा ), लक्ष्मीनारायण १.४९६( अजपाल द्वारा व्याधियों को अजा रूप में नियन्त्रित करने की कथा ), २.२६५( दुष्ट प्रकृति के पार्ष्णिरद नामक अजापाल की कृष्ण नाम जप से मुक्ति ), ४.६८( परमीर अजापालक का मृत्यु के पश्चात् श्येन बनना ) ajapaala  

अजमीढ ब्रह्म १.११.१०५( धूमिनी - पति, ऋक्ष - पिता ), भागवत ९.२१.२१( हस्ती - पुत्र, बृहदिषु - पिता, वंश वर्णन ), ९.२२.३( ऋक्ष - पिता, वंश वर्णन ), मत्स्य ४९.४५( अजमीढ द्वारा केशिनी, नीलिनी व धूमिनी पत्नियों से पुत्रों की उत्पत्ति ), ५०.१६( अजमीढ का सुदास - पुत्र सोमक के रूप में पुन: जन्म लेना, धूमिनी - पति, जन्तु व अन्य १०० पुत्र ), १४५.१०३( अङ्गिरा गोत्रीय ३३ ऋषियों में से एक ), वायु ९१.११६/२.२९.११२( तप से ऋषिता प्राप्त करने वाले राजर्षियों में से एक ), ९९.११४/२.३७.१८९( नीलिनी - पति, नील - पिता, वंश का वर्णन ), हरिवंश १.३२.४२( अजमीढ वंश का वर्णन ) ajameedha

Remarks on Ajmeedha 

अजमेध भविष्य ३.२.२२( क्षत्रसिंह के अजमेध यज्ञ में अज/छाग की हिंसा के प्रश्न पर विवाद ) ajamedha 

अजमेर भविष्य ३.१.७.३( राजपुत्र देश के चपहानि नृप का अजमेर में सुखपूर्वक निवास ), भविष्य ३.४.२.१( अजमेर पुर की निरुक्ति, शासकों के नाम - अजस्य ब्रह्मणो मा च लक्ष्मीस्तत्र रमा गता ।। तया च नगरं रम्यमजमेरमजं स्मृतम् ।। ) ajamera

अजहारित लक्ष्मीनारायण ३.३१( अजहारित ऋषि द्वारा राजा को शाप देकर अश्व बनाना ) 

अजा कूर्म १.७.५५( अजा का ब्रह्मा के मुख से प्राकट्य- मुखतोऽजान् ससर्जान्यान् उदराद्‌गाश्चनिर्ममे ।। पद्भ्यांचाश्वान् समातङ्गान् रासभान् गवयान् मृगान् । ), गरुड ३.९.१( अजानज/अज्ञानज स्वरूप वाले गन्धवों, अप्सराओं, ऋषियों, पितरों आदि के नाम ), ३.११.६(निद्रासीन विष्णु के संदर्भ में अजा के परा-अपरा प्रकृति होने का उल्लेख - अजां जहि महाभाग योग्यानां मुक्तिमावह । अजा तु प्रकृतिः प्रोक्ता चापरा प्रकृतिः परा ॥ ), ३.१६.१०(नारायण-पत्नी- नारायणस्य भार्या तु लक्ष्मीरूपा त्वजा स्मृता ॥),  नारद १.९०.७१( लकुच द्वारा देवी पूजा से अज सिद्धि का उल्लेख ), पद्म १.३.१०५( अजा की ब्रह्मा के मुख से सृष्टि - अवयो वक्षसश्चक्रे मुखतोजांश्च सृष्टवान्सृष्टवानुदराद्गाश्च महिषांश्च प्रजापतिः ), ६.५६( अजा एकादशी व्रत का माहात्म्य : हरिश्चन्द्र की कष्टों से मुक्ति - पूजयित्वा हृषीकेशं व्रतमस्यां करोति यःपापानि तस्य नश्यंति व्रतस्य श्रवणादपि ), ६.१७६( गीता के द्वितीय अध्याय के पाठ से शुद्ध स्थान में व्याघ्र की अजा भक्षण में अरुचि, अजा का निर्भय होना, अजा के पूर्व जन्म का वृत्तान्त ), ६.१८३( माधव ब्राह्मण द्वारा यज्ञ में अजा बलि की चेष्टा, छाग द्वारा अपना पूर्व योनियों में जन्म वृत्तान्त का कथन, गीता के नवम अध्याय के माहात्म्य का कथन ), भविष्य ३.४.८.८९ ( व्यक्त स्थिति में अहंकार उत्पन्न होने पर बुद्धि का नाम, अन्य नाम अविद्या  - व्यक्तेऽहंकारभूते च बुद्धिर्ज्ञेया बुधैरजा ।। अविद्या नाम विख्याता षोडशांगस्वरूपिणी ।।), ४.१०३.९( दिलीप - पत्नी कलिङ्गभद्रा की सर्पदंष्ट से मृत्यु होने पर अजा योनि प्राप्त होने व कार्तिकव्रत से मुक्तिप्राप्ति आदि की कथा ), भागवत ९.१९( विषयों से अतृप्त बस्त व कूप - पतित अजा का प्रसंग ), १०.१३.५२( विभूति का नाम ),मत्स्य ६.३३( धर्म व सुग्रीवी - पुत्र ), वायु २०.२८( अज रूपी पुरुष की अजा रूपी विश्वरूपा प्रकृति में आसक्ति - विरक्ति का मन्त्र : अजामेकां इति ), २३.९२/१.२३.८५( ब्रह्मा द्वारा पार्वती का अजा रूप में दर्शन, अजा का विश्वरूप होना, अजा के मुख में अग्नि का स्थित होना - अजश्चैव महातेजा विश्वरूपो भविष्यति। अमोघरेताः सर्वत्र मुखे चास्य हुताशनः। ), विष्णुधर्मोत्तर ३.३०१.३१( अजा प्रतिग्रह की संविधि - कर्णेऽजाः पशवश्चान्ये ग्राह्याः पुच्छे विचक्षणैः ।। ), स्कन्द ४.२.७२.६१( अजा देवी द्वारा पृष्ठ देश की रक्षा - अव्यात्सदा दरदरीं जगदीश्वरी नो नाभिं नभोगतिरजात्वथ पृष्ठदेशम् ।। ), लक्ष्मीनारायण १.४९६( अजापाल राजा द्वारा व्याधियों का अजा रूपों में रूपान्तरण करके नियन्त्रण - स च वै सकलान् व्याधीन् मन्त्रैः संयम्य यत्नतः ।। अजारूपान् स्वयं पश्चाद् यष्टिमादाय रक्षति ।), २.४५.७( मां अजा : तलाजा राक्षसी की किंकरी, झांझीवर दैत्य से उत्पन्न दुष्ट पुत्र द्वारा समुद्र में क्षेपण पर कृष्ण द्वारा रक्षा ) ajaaRemarks on Ajaa 

Comments on Basta

अजापाल स्कन्द ७.१.५८( रघु - पुत्र, व्याधि मुक्ति हेतु क्रिया शक्ति रूपा भैरवी देवी की पूजा, अजापालेश्वरी देवी नामकरण, रावण द्वारा कर मांगने पर ज्वर का प्रेषण ), ७.१.२८७( अजापाल राजा द्वारा अजापालेश्वरी देवी की आराधना, देवी द्वारा व्याधियों पर नियन्त्रण ), लक्ष्मीनारायण २.२६५.३( पार्ष्णिरद नामक अजपालक द्वारा नर अजा शावकों की हत्या व मादा शावकों का पालन, कष्ट प्राप्ति, कृष्ण भक्त बनना ) द्र. अजपाल ajaapaala

अजामिल भागवत ६.१+ ( नारायण - पिता अजामिल ब्राह्मण की वेश्या में आसक्ति, परधाम गमन का वृत्तान्त ) ajaamila/ajamil

Comments on Ajamil 

Vedic contexts on Ajaamila 

अजामुखी वा.रामायण ५.२४.४३९ अजामुखी राक्षसी द्वारा अशोकवाटिका में सीता को भय दिखाना ) द्र. बर्करी ajaamukhee 

अजित अग्नि ३.५( विशाखयूप तीर्थ में विष्णु का अजित नाम ), गर्ग ५.१७.२९( कृष्ण विरह पर अजित पदाश्रिता गोपियों के उद्गार ), ब्रह्माण्ड १.२.१३.९३( अजित देवगण के अन्तर्गत १२ देवों के नाम ), २.३.३.११४( अजित अवतार का मन्वन्तरों में प्राकट्य ), भागवत ८.५.९( वैराज व सम्भूति - पुत्र, अवतार ), वामन ९०.६( विशाखयूप तीर्थ में विष्णु का अजित नाम से वास ), वायु ३१.४( ब्रह्मा - पुत्र ), ६७.३३( जय संज्ञक ब्रह्मा के १२ पुत्रों का शापित होकर स्वायम्भुव मन्वन्तर में रुचि व अजिता - पुत्र अजित गण बनना, अजित गण के १२ देवों के नाम ), शिव ५.३४.६५( १४वें मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ), लक्ष्मीनारायण २.१४०.६५( अजित प्रासाद के लक्षण ) ajita 

अजिन ब्रह्माण्ड १.२.३७.२४( हविर्धान व आग्नेयी - पुत्र ), कथासरित् १४.२.३८( अजिनावती : देवसिंह व धनावती - पुत्री, विद्याधरी, नरवाहनदत्त की भार्या बनना ), १४.३.३२, द्र. वंश पृथु ajina

Remarks on Ajina 

अजिर वायु ३१.९( त्विषिमान् संज्ञक १२ देवों में से एक ) 

अजीगर्त/अजीगृद ब्रह्म २.८०( सुयव - पुत्र, शुन:शेप पुत्र के विक्रय के पाप से पिशाच बनना, पुत्र द्वारा गङ्गा पर दान से मुक्ति ), स्कन्द ७.१.१९१( अजीगर्तेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य ) द्र. ऋचीक ajeegarta/ajeegarda

Remarks on Ajeegarta 

अजैकपाद अग्नि १८.४२( सुरभि व कश्यप - पुत्र, ११ रुद्रों में से एक ), ब्रह्माण्ड २.३.३.७१(कश्यप व सुरभि के ११ रुद्रपुत्रों में से एक), भविष्य ३.४.११.५५( वसुशर्मा ब्राह्मण - पुत्र, मृत्यु पर विजय, रुद्र से सायुज्य, पुरीशर्मा रूप में अवतरण - अजस्येव पदश्चैको द्वितीयो नरवत्ततः । अजैकपाद इति स प्रसिद्धोऽभून्महीतले । ।), भागवत ६.६.१८( भूत व सरूपा - पुत्र, एकादश रुद्रों में से एक ), मत्स्य ५१.२२( अग्नि का नाम, अन्य नाम शालामुख - अजैकपादुपस्थेयः स वै शालामुखो यतः अनिर्देश्यो ह्यहिर्बुध्न्यो बहिरन्ते तु दक्षिणौ ),  महाभारत उद्योग ११४.४ (हिरण्य के रक्षक - अजैकपादहिर्बुध्न्यौ रक्ष्येते धनदेन च। एवं न शक्यते लब्धुमलब्धव्यं द्विजर्षभ ।), वायु २९.२४( उपस्थेय - शालामुखीय अग्नि - अजैकपादुपस्थेयः स वै शालामुखीयकः। अनुद्देश्योप्यहिर्बुध्न्यः सोऽग्निर्गृहपतिः स्मृतः ।।  ), स्कन्द ४.१.१४.४( ११ रुद्रों में से एक ), हरिवंश १.३.५०( सुरभि – पुत्र - सुरभी कश्यपाद् रुद्रानेकादश विनिर्ममे ।....अजैकपादहिर्बुध्न्यस्त्वष्टा रुद्राश्च भारत । ), ३.५३.१९( अजैकपाद का राहु से युद्ध - राहुस्तु विकृताकारः शतशीर्षा महोदरः । अजैकपादेन रणे सहायुध्यत दंशितः ।।), ३.५८.५३( राहु से युद्ध - तत्रैव युध्यते रुद्रो द्वितीयो राहुणा सह । विश्रुतस्त्रिषु लोकेषु क्रोधात्मा ह्यज एकपात् ।। ) ajaikapaada

अजोगन्ध स्कन्द ७.१.२९४( ऋतध्वज राजा द्वारा स्थापित अजोगन्धेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य ) द्र. अजगन्ध ajogandha 

अज्ञान गरुड ३.९.१( अजानज/अज्ञानज स्वरूप वाले १५ गन्धवों, अप्सराओं, ऋषियों, पितरों आदि के नाम ), वराह ३१.१५(अज्ञान छेदन हेतु खङ्ग का उल्लेख), वायु १०२.६२/२.४०.६२( अज्ञान का निरूपण ), योगवासिष्ठ ३.११७( अज्ञान की जाग्रत, स्वरूट आदि ७ भूमिकाओं का निरूपण ), ६.१.७( अज्ञान द्वारा निर्मित संसार की स्थिति का वर्णन ), ६.१.२९.७६( अज्ञान गज को सिंह का भक्षक बनाने का निर्देश ), ६.१.९१.३( अज्ञान की हस्ती के महावत/हस्तिप से उपमा ), ६.१.९५.३( अज्ञान के सब दुःखों का मूल कारण होने का कथन ), लक्ष्मीनारायण १.१४( ब्रह्मा से अज्ञान की सृष्टि का कथन ), २.२४६.८८( अज्ञान मूलक वृक्ष का स्वरूप ) ajnaana  

अञ्ज लक्ष्मीनारायण ३.२०७( नाञ्ज नामक कृष्ण - भक्त द्वारा कृषकों की लुटेरों से रक्षा, कृष्ण द्वारा नाञ्ज की रक्षा ) anja 

अञ्जन अग्नि ३००( ग्रगपग अञ्जन ), गर्ग ४.१.१४( अज्ञान तिमिरान्ध हेतु ज्ञान अञ्जन शलाका ), पद्म १.६( सिंहिका - पुत्र ), ब्रह्मवैवर्त्त ४.३.१०१( असित - पुत्र देवल का रम्भा अप्सरा के शाप से अञ्जनवर्ण व वक्र देह होना ), ४.८५.११८( अञ्जन चोर के शुक बनने का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड २.३.७.२९२( अण्डकपाल की शक्ति से इरावती के गर्भ से जन्मा हस्ती ), २.३.७.३३०( हस्ती, यम का वाहन ), भविष्य ४.१८०( दिग्गज का नाम ), वायु ४७.१३( त्रैककुद अञ्जन गिरि की वृत्र की काया से उत्पत्ति ), ६९.२०९/२.८.२०६( भद्र हस्ती का पुत्र, दिग्गज ), ६९.--/२.८.२२१( अञ्जन साम से उत्पन्न गजों के नाम ), विष्णुधर्मोत्तर २.१३२.२९( नैर्ऋती शान्ति के लिए अञ्जनमणि के उपयोग का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.४४१.८५( रक्ताञ्जन : वह्नि का रूप ), कथासरित् ८.२.३५१( अञ्जनिका : काल - कन्या, महल्लिका - सखी, सूर्यप्रभ की पत्नी बनना ), ८.५.५३( अञ्जनगिरि का राजा धूर्तवाहन ), १८.२.२७६( जयवर्धन द्वारा अञ्जनगिरि हस्ती की प्राप्ति का उल्लेख ) द्र. वृषभाञ्जन, व्यञ्जन, स्वर्णाञ्जन anjana

Remarks on Anjana 

अञ्जना ब्रह्म २.१४( वानरी, केसरी - पत्नी, हनुमान - माता, अद्रि पिशाच द्वारा गौतमी में स्नान कराना ), ब्रह्माण्ड २.३.७.२२४( केसरी - पत्नी अञ्जना द्वारा वायु से हनुमान को उत्पन्न करने का उल्लेख, केसरी के अन्य पुत्रों के नाम ), भविष्य ३.४.१३.३२( गौतम - पुत्री, केसरी वानर - भार्या, हनुमान के जन्म की कथा ), शिव ३.२०( शिव वीर्य से अञ्जना को हनुमान पुत्र की प्राप्ति की कथा ), स्कन्द २.१.३९( अञ्जना का मतङ्ग से वार्तालाप, पुत्रार्थ आकाशगङ्गा तीर्थ में तप, वायु द्वारा वरदान ), ५.३.५.८( युधिष्ठिर द्वारा मार्कण्डेय मुनि से अञ्जना नदी का शब्दार्थ पूछना ), वा.रामायण ४.६०.८( पुञ्जिकस्थला अप्सरा का अवतार, कुञ्जर वानर - पुत्री, केसरी - पत्नी, हनुमान के जन्म की कथा ), लक्ष्मीनारायण १.१८४( हनुमान - माता ), १.४०६( केसरी - पत्नी अञ्जना द्वारा पुत्र प्राप्ति हेतु तप, वायु/शङ्कर के अंश से हनुमान पुत्र की प्राप्ति ), २.१४.२६( कृष्ण - पत्नी अञ्जना द्वारा शुक्रजीवनी राक्षसी द्वारा मोचित धूम्र का पान ) anjanaa

Remarks on Anjanaa

अञ्जलि अग्नि ३४१.१७( संयुत कर के १३ प्रकारों में से एक ), महाभारत कर्ण ९१.४०( अर्जुन द्वारा अञ्जलिक नामक बाण से कर्ण का वध ), लक्ष्मीनारायण ३.१७८( अयाचिताञ्जलि : भिक्षायन मुनि - भार्या, कामना त्याग से मुक्ति ), ४.३६.३०( हिताञ्जलि मुनि द्वारा कारेलिका मार्जयित्री को कृष्ण नाम की दीक्षा ) anjali 

अट स्कन्द ६.१२८( अटेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य, बृहद~बल राजा की भार्याओं को अट पुत्र की प्राप्ति, अट की निरुक्ति ) ata 

अटवी पद्म ३.२१.३१( नर्मदा तटवर्ती अटवी तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य )द्र. महाटवी atavee 

अट्टशूल स्कन्द १.२.४०.२३५( कलियुग में जनपदों के अट्टशूल होने का उल्लेख, द्र. टीका ) attashoola 

अट्टहास देवीभागवत ७.३८( अट्टहास क्षेत्र में महानन्दा देवी का वास ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.३७.१८( अट्टहासिनी काली से ईशान दिशा की रक्षा की प्रार्थना ), लिङ्ग १.२४.९५( २०वें द्वापर में मुनि ), वायु २३.१९०( २०वें द्वापर में शिव अवतार ), शिव ३.५.२५( २०वें द्वापर में अट्टहास गिरि पर अट्टहास नामक शिव अवतार ), स्कन्द ४.१.४५.४१( अट्टाट्टहास : ६४ योगिनियों में से एक ), ४.२.९७.३०( अट्टहासेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ), ५.२.४.१२( देवों द्वारा तेज से सृष्ट कृत्या के अट्टहास से रौद्र कन्याओं की सृष्टि का कथन ), ५.३.१६.४( शिव के अट्टहास की भीषणता का कथन ), ७.१.१०.१०(अट्टहास तीर्थ का वर्गीकरण -- वायु),  कथासरित् ८.४.५६( विद्याधर - राजा, सूर्यप्रभ की सेना से युद्ध, हर्ष द्वारा वध ), १२.६.३३( यक्षकुमार, नलकूबर के शाप से पृथिवी पर पवित्रधर ब्राह्मण के रूप में जन्म, शाप से मुक्ति ), १२.६.४२१( यक्ष, प्रदीप्ताक्ष - पुत्र, दीप्तशिख - अग्रज, मनुष्य योनि में जन्मे स्व अनुज को जाति - बोध कराना ) attahaasa 

अट्टाल स्कन्द १.२.६५.१११( राक्षसी व उसका वध स्थान, देवी का नाम वत्सेश्वरी ), ५.३.१८२.१३( श्री द्वारा कुञ्चिका अट्टाल नामक स्वगृह को भृगु को सौंपकर देवलोक जाने और पुनरागमन पर अट्टाल के स्वामित्व पर भृगु से विवाद का वर्णन ), ७.१.२६९( विदुर अट्टालक : विदुर के तप का स्थान ) attaala

अणिमा देवीभागवत १२.६.११( अणिमादि गुणाधारा : गायत्री सहस्रनामों में से एक ), पद्म ६.१६६.५( साभ्रमती नदी में स्नान करके पाण्डुरार्या देवी को नमस्कार करने पर अणिमादि अष्ट सिद्धियों के प्राप्त होने का उल्लेख ),ब्रह्म १.१३३.१५( ईश्वर के विराट रूप/पुरुष सूक्त के संदर्भ में अणिमा आदि का उल्लेख ), ब्रह्मवैवर्त्त १.६.१८( १८ सिद्धियों के अन्तर्गत अणिमादि ८ सिद्धियों का उल्लेख ), ४.४.६३( विष्णु का अणिमादि सिद्धियों के कारण के रूप में उल्लेख ), ४.७८.३३( अणिमादि सिद्धियां प्रदान करने वाले ॐ सर्वेश्वरेश्वर - - - - - मधुसूदनाय स्वाहा मन्त्र का उल्लेख ), ब्रह्माण्ड १.२.२७.१२४( दक्षिण मार्ग से साधना करने पर अणिमादि सिद्धियां प्राप्त होने का उल्लेख ), ३.४.१९.३( ललिता देवी के चक्रराज रथ के नवम् पर्व में स्थित अणिमादि १० सिद्धि देवियों के नाम तथा स्वरूप का कथन ), ३.४.४४.१०८( श्रीचक्र न्यास के अन्तर्गत अणिमादि १० सिद्धियों के अंस, दो:, पृष्ठ आदि में न्यास का उल्लेख ), भागवत ११.१५.४( धारणा योग से प्राप्त होने वाली १८ सिद्धियों के अन्तर्गत अणिमादि ८ सिद्धियों तथा उनकी प्राप्ति के साधनों का वर्णन ), लिङ्ग १.९.२३( पैशाच/पार्थिव, आप्य/राक्षस, याक्ष/तैजस, गान्धर्व/वायु, ऐन्द्र/व्योम, सौम्य/मानस, प्राजापत्य/अहंकार, ब्राह्म/बोध नामक ८ सिद्धियों के लक्षणों का वर्णन ), १.८८.९( अणिमा आदि ८ ऐश्वर्यों के सावद्य, निरवद्य व सूक्ष्म नामक तीन भेदों का वर्णन, ८ ऐश्वर्यों का शिव की ८ मूर्तियों से तादात्म्य?, ८ ऐश्वर्यों की प्रकृति का वर्णन ), २.२७.१०१( अणिमा, लघिमा आदि व्यूह का वर्णन, शिव अभिषेक का प्रसंग ), वायु १३.२( अणिमा आदि ८ ऐश्वर्यों की प्रकृति का वर्णन : योग में अणिमा के लम्बन व प्लवन रूप का उल्लेख ), १०२.९७/२.४०.९७( अणिमादि ८ ऐश्वर्यों का ब्रह्मा से लेकर पिशाचान्त ८ स्थानिक देवों से तादात्म्य का उल्लेख ), विष्णुधर्मोत्तर २.१२९.१२( पुरुष सूक्त के जप से अणिमादि सिद्धियां प्राप्त होने का उल्लेख ), शिव ७.२.३८.१८( योग में पार्थिव/पैशाच, आप्य, आनल, मारुत, ऐन्द्र/आम्बर, चान्द्रमस, प्राजापत्य, ब्राह्म व वैष्णव ऐश्वर्यों के लक्षणों का वर्णन ), स्कन्द १.२.५५.११७( अणिमा, लघिमा आदि ८ सिद्धियों के नाम व प्रकृति का उल्लेख ; अणिमा का सूक्ष्मात्सूक्ष्म होना ), २.९.२७.५०( वासुदेव पूजा विधान वर्णन के अन्तर्गत कमल के ८ दलों के मध्य अन्तरालों में सुवर्ण वर्ण वाली, मङ्गलवाद्यों के वादन में निपुण, आभरणों आदि से शोभित अणिमादि ८ सिद्धियों का न्यास ), ३.१.३६.१९४( महालय श्राद्ध करने से अत्रि आदि ऋषियों का अणिमादि सिद्धियां प्राप्त करने का उल्लेख ), ५.१.१८.२( एकानंशा देवी के तुष्ट होने पर अणिमादि सिद्धियों के प्राप्त होने का उल्लेख ), ७.१.५२.२( सिद्धेश्वर लिङ्ग के दर्शन से अणिमादि सिद्धियां प्राप्त होने का उल्लेख ), योगवासिष्ठ ६.१.८२( अणिमा आदि सिद्धि में कुण्डलिनी जागरण का महत्त्व ), वा.रामायण ५.१.१( हनुमान द्वारा लङ्का गमन हेतु समुद्र पार करते समय अणिमा, लघिमा आदि सिद्धियों का उपयोग करना ) animaa

Remarks on Animaa

 

 

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